है मातृवत , है स्नेहमयी
है कृपासिंधु सी माँ,
है दयानिधे , है विमल ज्ञान
है प्रेमबिन्दु सी माँ !
जो रक्षक है, जो पोषक है
जो सृजना है इस जीवन का
जो अभिमान बनी इन आँखों की,
जो सूचक है भगवन का,
है नीर क्षीर सी निर्मल माँ,
है गंगाजल सी पावन माँ
है दयानिधे, है स्नेहमयी,
है प्रेमविन्दु सी माँ ।
जो देवो की अभिलाषा है,
जो गुरुवो की परिभाषा है,
जो प्रेमांकुर है अंतर्मन की,
जो स्नेह, प्रेम की भाषा है।
है सकल सृष्टि से न्यारी माँ,
है प्राण से प्यारी भोली माँ
है दयानिधे, है स्नेहमयी
है प्रेम विंदु सी माँ ।
जो मेरे लिये आराध्य बनी,
मेरे हर संकट का साध्य बनी,
जीवन से तिमिर मिटाने को,
कभी सिंह बनी, कभी व्याघ्र बनी।
है ममता का आँचल माँ,
है करुणा का सागर माँ,
है दयानिधे है स्नेह मयी,
है प्रेम विंदु सी माँ ।
प्रशान्त श्रीवास्तव
Nice line I love you “Maa”