ज़िन्दगी में जब भी वो मुकाम आए,
की मेरे लिए मौत का फरमान आये,
उस वक़्तत मेरी बस यही ख्वाइश-ए-तमन्ना है
उन सभी को कर सकूँ मुतमईन जो भी मेरे साथ आये ।
मेरी दरख्वास्त है कि, मेरे मरने पर उदासी मत होने देना,
न ही किसी माथे पर सिलवटें, न ही किसी आंख से अश्क़ की बौछार आये।
एक उजाले की लौ भी रख लेना ज़नाज़े पे साथ मेरे,
क्या पता किसी मुसाफ़िर के काम आए ।
ए खुदा ! मेरी खुद्दारी इन हवाओं की खुश्बुओं में यूं बिखर जाए,
मेरे चिता के आग से उजाला मिले उन्हें, की अंधेरा जिसके भी पास आये।
ये मोहब्बत, ये रिश्ते, ये नाम, ये दौलत, सब यही के तो है,
मिल सकेगी मगफिरत खुदा की ओर से,की जब ये जिस्म किसी के काम आए,
बस दुआओ की इल्तिज़ा होगी ज़बान पे मेरे,
जब भी मेरी मौत मुझे गले लगाए ।
Written By- Prashant Srivastava (Advocate)