क्या खूब बजाते हो, कान्हा तुम बांसुरिया…2
तेरा संगीत सुनकर के, कमल भी खिल जाता हैं।
मन मुग्ध होकर के, मोर नाचते हैं,
और वृक्षों के ह्रदय से, आशु टपक जाता हैं।
क्या खूब बजाते हो, कान्हा तुम बांसुरिया…2
इतनी प्यारी हैं तान, संग नदियाँ भी गाती हैं,
गइया भी लगाकर कान, संगीत सुनती हैं,
तेरे लब को चूमकर, बाँसुरिया इतराती हैं,
तेरे संगीत से कान्हा, अमृत की फुहार बरसती हैं।
क्या खूब बजाते हो, कान्हा तुम बांसुरिया…2
कभी राधा दीवानी हैं , कभी मीरा दीवानी हैं,
तेरे प्यार में कान्हा पूरी दुनिया दीवानी हैं,
तेरी मधुर तान बसुरिया, प्रेम का रस बरसाती हैं।
क्या खूब बजाते हो, कान्हा तुम बांसुरिया…2
By- Harshita Srivastava
Hi Guys